कहते हैं कि जब न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक सेब उन पर गिरा। सेब के गिरने ने न्यूटन को एक नई तरह से सोचने के लिए प्रेरित किया।
》उन्होंने सोचा कि यदि पृथ्वी सेब को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है तो क्या यह चंद्रमा को आकर्षित नहीं कर सकती?
》क्या दोनों स्थितियों में वही बल लग रहा है?
अंततः उन्होंने अनुमान लगाया कि दोनों अवस्थाओं में एक ही प्रकार का बल उत्तरदायी है।
गुरुत्वाकर्षण (Gravitation): क्लास 9 साइंस नोट्स
इस अध्याय में-
हम गुरुत्वाकर्षण तथा गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के बारे में अध्ययन करेंगे
विस्तार से जानेंगे कि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के अंतर्गत वस्तुओं की गति में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं?
हम अध्ययन करेंगे कि किसी वस्तु का भार एक स्थान से दूसरे स्थान पर किस प्रकार परिवर्तित होता है?
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
विश्व का प्रत्येक पिंड प्रत्येक अन्य पिंड को एक बल से आकर्षित करता है,यह बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है
》यह बल दोनों पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
》यह बल दोनों पिंडों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
या,
》जहाँ G एक आनुपातिकता स्थिरांक है और इसे सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक कहते हैं।
➡G का SI मात्रक Nm2 kg–2 है।
➡हैनरी कैवेंडिस नामक वैज्ञानिक ने G का मान ज्ञात किया।
➡G का वर्तमान मान्य मान 6.673 × 10–11 Nm2 kg–2 है।
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम अनेक ऐसी घटनाओं की व्याख्या करता है जो अबतक एक दुसरे से जुड़ी हुई नहीं मानी जाती थींः
(i) हमें पृथ्वी से बाँधे रखने वाला बल;
(ii) पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति;
(iii) सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति; तथा
(iv) चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा।
अभिकेंद्र बल
जब कोई वस्तु को वृत्ताकार पथ में गतिशील रखती है, तो वह बल जो केंद्र की ओर लगता है, अभिकेंद्र बल कहलाता हैं।
》पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति अभिकेंद्र बल के कारण है।
》अभिकेंद्र बल पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण मिल पाता है। यदि ऐसा कोई बल न हो तो चंद्रमा एकसमान गति से सरल रेखीय पथ पर चलता रहेगा।
मुक्त पतन
जब वस्तुएँ पृथ्वी की ओर केवल गुरुत्वीय बल के कारण गिरती हैं, तो इस स्थिति को हम वस्तु के मुक्त पतन की स्थिति कहते हैं।
》गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में केाई परिवर्तन नहीं होता।
》पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन(त्वरण) होता है।
गुरुत्वीय त्वरण(g)
मुक्त पतन में गिरते समय वस्तुओं के वेग में परिवर्तन/ त्वरण, पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है। इसलिए इसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।
》इसे 'g' के संकेत द्वारा दिखाते हैं।
》g के मात्रक ms–2 होता है।
गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान
》पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं है। पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत वृत्त की ओर जाने पर बढ़ती है, 》इसलिए g का मान ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक होता है।
》अधिकांश गणनाओं के लिए पृथ्वी की सतह पर या इसके पास g के मान को लगभग स्थिर मान लिया जाता है,
》इस तरह गुरुत्वीय त्वरण का मान g = 9.8 m s–2 होता है।
》मुक्त पतन की अवस्था में -
F = m g
गति के तीन समीकरण | पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव में वस्तुओं की गति
》सभी वस्तुएँ खोखली या ठोस, बड़ी या छोटी, किसी ऊँचाई से समान दर से गिरती हैं
》पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर है, अतः एकसमान त्वरित गति के सभी समीकरण, त्वरण a के स्थान पर g रखने पर भी मान्य रहेंगे
1. v = u + at
2. s = ut + ½at2
3. v2 = u2 + 2as
यहाँ: u=प्रारंभिक वेग | v=अंतिम वेग | s= चली गई दूरी । t= समय
द्रव्यमान
किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है ।
》जितना अधिक वस्तु का द्रव्यमान होगा, उतना ही अधिक उसका जड़त्व भी होगा।
》किसी वस्तु का द्रव्यमान उतना ही रहता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो, चंद्रमा पर हो या फिर बाह्य अंतरिक्ष में हो।
》इस प्रकार वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता।
भार
किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है।
》वस्तु पर पृथ्वी का आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है।
》इसे W से संकेत से दिखाते हैं।
W = m × g
》भार का SI मात्रक न्यूटन (N) होता है।
》भार एक बल है जो ऊर्ध्वाधर दिशा में नीचे की ओर लगता है, इसलिए इसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं।
》किसी वस्तु का भार भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न हो सकता है, किंतु द्रव्यमान स्थिर रहता है।
किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार
》वस्तु का चंद्रमा पर भार = (1/6) × इसका पृथ्वी पर भार
प्रणोद तथा दाब
किसी वस्तु की सतह के लंबवत् लगने वाले बल को प्रणोद कहते हैं।
》दाब का SI मात्रक प्राप्त होता है। यह मात्रक N/m2 या Nm–2 है।
》वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में, दाब के SI मात्रक को पास्कल कहते हैं, जिसे Pa से व्यक्त किया जाता है।
उत्प्लावकता
किसी तरल में अंशतः या पूर्णतः डूबी हुई वस्तु पर उस तरल द्वारा ऊपर की ओर धकेलने वाले बल को उत्प्लावक बल और उस तरल की यह प्रवृति उत्प्लावकता कहलाती है।
》उत्प्लावन बल का परिमाण तरल के घनत्व पर निर्भर है।
पानी की सतह पर रखने पर वस्तुएँ तैरती या डूबती क्यों हैं?
》ऐसा उनके घनत्वों में अंतर के कारण होता है।
》किसी पदार्थ का घनत्व, उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं।
》द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव में डूब जाती हैं।
आर्किमीडीज़ का सिद्धांत
जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमीडीज़ के सिद्धांत के अनुप्रयोग-
》यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिज़ाइन बनाने में काम आता है।
》दुग्धमापी, जो दूध के किसी नमूने की शुद्धता की जाँच करने के लिए प्रयुक्त होते हैं
》हाइड्रोमीटर, जो द्रवों के घनत्व मापने के लिए प्रयुक्त होतेे हैं, इसी सिद्धांत पर आधारित हैं।